Monday, November 02, 2009

२००९ का विज्ञापन

२००८ खड़ी कर गया खाट । हम सबने क्या-क्या कष्ट नहीं झेले । इतने पापड़ ज़िन्दगी में कभी नही बेले। सारा देश आर्थिक मंदी से जूझता रहा, पुब्लिक का खून मच्छरों से ज़्यादा कोई और चूसता रहा। बाहरी लोगो नें फुडाये बम और धमाके, अपने तो निकल लिए चूना लगा के ।

कहीं विश्वासमत का खेल तो कहीं उसूलों की रिडक्शन सेल। कायम रही माननीयों की गुंडई, कितनी ही साइकिलों पे चढ़ गई हुंडई। उधर चलती रही राजठाकरे की बकैती, इधर पड़ती रही उत्तर भारतियों पर डकैतीसीरियलों में जारी रही सास-बहु की मक्कारी, तो न्यूज़ चैनलों पर आ गई एक्सक्लूसिव की बीमारी। बोर करते रहे सी ग्रेड कॉमेडी-सर्कस, तो रियल्टी शो से ऊब गए देश के दर्शक । पुलिस का अफ़ैइआर से बना रहा परहेज़, बिकते रहे दूल्हा चलता रहा दहेज़ ।

बिग बी से गिरकर राजपाल की हाईट पर आ गया सेंसेक्स । सदन में लहराती रही नोटों की गाडियां, तो लोकतंत्र के आँगन में चलती रही कबधिया । इधर कोसी नदी का प्रकोप और आपदाएं, उधर बुश को बिना मांगे चरण पादुकाएं ।

इस तरह साल भर तनी रही सन आठ की कार्बाइन, इसलिए हम लायें हैं नया 2009 । यह भला और चंगा है, सिर्फ़ दिखने में महंगा है । तो लीजिये पेश है 9 की खुशी के नो पिटारे । एक -एक कर दिखाता हूँ -
पहले पिटारे में है बॉलीवुड करियर पाउच, बिल्कुल फ्री ऑफ़ कास्टिंग काउच ।

दूसरे पिटारे में है कुवारों की आशाएं यानि आपके लिए ज़िन्दगी की बिपाशायें ।

तीसरे पिटारे में भरी है एनर्जी, इसका सेवन करते ही दूर हो जायेगी खुदगर्जी ।

चौथे में है प्रेम और भाईचारा, इसी में देखिये मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा ।

पाँचवे में है एम्प्लौईमेन्त के चांस ही चांस ।

छटवें में है सब के लिए बराबर रोमांस ।

सातवें पिटारे में है ईमानदारी की हाई डोज़, चरित्र लड़खादाते ही एक गोली रोज़ ।

आठवें में है अमन चैन की मनगल्कामनयें, लेकिन ये तभी एक्टिव होंगी जब आपकी होंगी इसी ब्रांड की भावनाएं ।

नवें और आखरी पिटारे में है उम्मीदों का भरपूर उजाला, अब मत कहिये गा की पप्पू कांट डांस साला ।

तो आप भी लीजिये नए साल की नई अंगडाइयां, फिलहाल इस विज्ञापन पर न शर्तें लागू न कंडीशन अप्लाई ।




लेखक - मुकुल महान ।

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ली का फंडा

(ब्रूस ली और उनकी पसंद )


पसंदीदा सब्जी ?
मू ली

पसंदीदा खाना ?
था ली

पसंदीदा नाश्ता ?
इड ली


पसंदीदा अभिनेत्री ?
सोना ली


पसंदीदा त्यौहार ?
दीवा ली


पसंदीदा पर्वतीय स्थल ?
कुल्लू -मना ली


पसंदीदा क्रिकेटर ?
सौरव गांगु ली


पसंदीदा उपनाम ?
मावा ली


पसंदीदा नौकरी ?
कू ली


क्या होता है जब ब्रूस ली की फ़िल्म ख़त्म हो जाती है ?
खा ली

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ऍम .पी .

रामपुर गाँव में एक लड़का रहता था, जो पढने में बहुत तेज़ था। जब नौकरी के लिए उसे इंटरव्यू में बुलाया गया तो उसने दो शब्द रट लिए। वह शब्द था 'ऍम. पी.' जब वह इंटरव्यू देने गया तो साहब ने उससे पूछा:-


साहब - तुम्हारा नाम क्या है ?
लड़का - एम.पी.
साहब - ठीक से बताओ।
लड़का -जी ! महेश पाल।
साहब - कहाँ रहते हो ?
लड़का - एम.पी.
साहब - मध्य प्रदेश ?
लड़का - आपने ठीक समझा ।
साहब - तुम्हारे प्रदेश के मुख्य मंत्री कौन हैं ?
लड़का - मंगल पाण्डेय ।
साहब - तुम्हारे घर में कौन -कौन रहता है ?
लड़का - एम .पी.
साहब - मैं समझा नहीं ।
लड़का - माता-पिता ।

साहब - कितने तक पढ़े हो ?
लड़का - एम.पी.
साहब - साफ़ बताओ ?
लड़का - मैट्रिक पास ।
साहब - तुम्हे क्या पसंद है ?
लड़का - एम.पी.
साहब - क्या मतलब ?
लड़का - मटर-पनीर ।

(अब साहब को एम.पी. सुनकर बड़ा मज़ा आ रहा था, वह उससे और सवाल पूछने लगे ।)

साहब - तुम यहाँ कैसे आए ?
लड़का - एम.पी.
साहब - मच्छर पकड़ते हुए ?
लड़का - नहीं मोटर पर ।
साहब - तुम अब तक क्या करते थे ?
लड़का - मछली पकड़ता था।
साहब - तुम्हे यहाँ कैसा लगा ?
लड़का - एम.पी.
साहब - मतलब ।
लड़का - माथा पच्ची ।
(साहब ने उस लड़के को नौकरी दे दी क्योंकि वह दिमाग का बहुत तेज़ था और ‘एम.पी.’ शब्द से ही उसने अपना इंटरव्यू दिया ।)
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