Thursday, November 12, 2009

ब्रेकिंग न्यूज़ देखते हुए

ब्रेकिंग न्यूज़ देखते हुए बहुत कुछ ब्रेक हो जाता है मन के भीतर । यह ब्रेक कभी ऑफ़ ब्रेक होता है तो कभी लेग ब्रेक । क्रिकेट की भाषा में कहें तो कभी इनस्विंग होती है तो कभी आउट्स्व्ग । कभी दायें से चोट लगती है तो कभी बाएं से । हादसों की गुगली ही क्लीन बोल्ड मार देती है । ज़िन्दगी की गाड़ी ही जैसे स्पीड बराकर पर आ जाती है । सब कुछ रूक जाता है, थम जाता है जब ब्रेअकिंग न्यूज़ आती है । यह न्यूज़ एक्स्ट्रा प्राउड के साथ दिखाई जाती है । टीवी सेट पर लाल-नीले पट्टी चलती है । यह न्यूज़ प्रायः तबाही के मंज़र पेश करती है । कहीं प्यास से चटकी और दरकी हुए ज़मीन तो कहीं पानी-पानी हुए मुंबई दिखाई देती है । कहीं दुष्यंत कुमार कहते हैं- बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं और नदिया के किनारे घर बने हैं
कहीं पेट के बल पड़ी नावें नज़र आती हैं, सूखी नदी पर रेत के बादल उध्ते हैं, कहीं कोई अपनी कविता में कह उठता है-

पानी ने रास्ता बदल जो दिया,
वो नदी अब ज़मीन लगती है

बिजली -पानी का संकट होता है, ब्रेकिंग न्यूज़ आती है । भूख का तांडव होता है , ब्रेकिंग न्यूज़ आती है । बड़े शान से गुलशन का कारोबार चलता है । दहशत कलर टीवी में और भी ज़्यादा ईस्टमैन कलर में लुभाती है । आम आदमी आँखें फाड़कर देखता है । बीच-बीच में ड्राइंग रूम में चाय-नाश्ता भी चलता रहता है । एनाउंसर मुस्कुराता है या मुस्कुराती है हालाँकि ख़बर फूट-फोटकर रोने वाली होती है । ब्रेकिंग न्यूज़ ब्रेक के बाद जारी रहती है । इधर भूख से बिलबिलाते हुए बच्चे दिखते हैं तो उधर लज़ीज़ खाने की रेसेपी दिखाई जाती है । वनस्पती घी के तालाब में मछली सी तैरती पूठियाँ मुह में पानी लाती हैं ।

कहीं रेल का बजट आता है तो कहीं रेल पटरी से उतर जाती है । राहत सामग्री के पैकेट गैस के गुब्बारों से हवा में उड़ते हैं, आदमी के हाथ नहीं आते हैं । चैनल-चैनल का खेल चलता है । केज़ुअल्तीज़ मनोरंजन का साधन बनती हैं । हर चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ का तोहफा मिलता है, बस रिमोट का बटन पिटिर-पिटिर करना होता है । बस इतना करने भर से आदमी ठीक से देख पता नहीं और परदे पे मंज़र बदल जाता है । ब्रेकिंग न्यूज़ नर्वस डाउन भी करती है ।

आदमी घबरा जाता है, हालाँकि बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिनका बग़ैर ब्रेकिंग न्यूज़ देखे हुए खाना ही नही पचता । ब्रेकिंग न्यूज़ में बुरी ख़बरों का परसेंटेज ही डोमिनेट करता है । अच्छी ख़बरें मुश्किल से ब्रेकिंग न्यूज़ का गौरव बन पाते हैं । ब्रेकिंग न्यूज़ देखते हुए बहुत कुछ अनदेखा रह जाता है ।


लेखक - यश मालवीय
[APPNAME]

हवा में नाश्ता हवा… हवा…

खूबचंद ने अपना बोर्डिंग पास लिया और काउंटर के पीछे से खूबसूरत मुस्कुराता हुआ ‘विश उ प्लीजेंट फ़्लैट ’ का मीठा स्वर प्राप्त किया । बैग हाथ में लेकर चल तो दिए लेकिन उस मुस्कान से बहार नहीं निकल पाये । इतनी प्लीजेंट स्माइल की आदमी बिना हवाई जहाज़ के उड़ने लगे । मुस्कुराहटों पर ज़िन्दगी गुज़ार देने वाली परम्परा के देश के वासी खूबचंद आज बहुत इम्प्रेस थे । पहली बार हवाई जहाज़ में बैठने का सुखद योग मिला था ।

किसी तरह पुलिस वालों की तलाशी से निकलकर आगे बढ़े ।
सिक्यूरिटी चेक के नाम से औकात जान लेने वाली सुरक्षा-व्यवस्था के बाद आगे बढ़कर एक कुर्सी पर बैठे खूबचंद लोगों की बताई बैटन से अपने को खुश करने में जुट गए । बताया गया था की सुंदर-सुंदर परी जैसी लड़कियां अपने हाथों से चाय-नाश्ता सर्व करती हैं । मनुहार करके खिलती हैं । बादलों के ऊपर हवा में उड़ते हुए परियों के हाथ अमृतपान कितना सुखद और रोमांचकारी होगा । इसी सपनीली वादी में विचरण करते-करते खूबचंद की आँख लग गई ।


खूबचंद को लगा की कोई अप्सरा बहुत ही मीठी आवाज़ में कह रही हो , ‘एस्क्यूस मी सर आप ही मी. खूबचंद हैं ।’ खूबचंद खुशी के मारे फूल गए और हडबडाकर जग गए । सामने वास्तव में छोटी स्कर्ट पहने , लाल वस्त्रों में अप्सरा थी, ‘सर आपकी फ़ाइनल कॉल हो चुकी है ऊपर चलिए ।’ इतनी सुंदर अप्सरा कहे तो ऊपर चलने में भी कोई हर्ज नहीं है । मंत्रमुग्ध हो पीछे-पीछे चल पड़े । अप्सरा ने जहाज़ में चढ़ा दिया । अच्छा लगा । खिड़की के पास वाली सीट पर बैठ गए । बाहर कुछ कर्मचारी वायुयान में ईंधन भर रहे थे । खूबचंद उनको हे दृष्टी से देखते हुए मन ही मन कह रहे थे - तुम लोग तेल भरो लेकिन अप्सराओं के साथ हम ही उड़ेंगे ।


थोड़ी देर बाद खूबचंद अप्सराओं के साथ वायुयान में बादलों से ऊपर थे । कई अप्सराएँ मुस्कान के साथ कभी आगे की ओर जातीं , कभी पीछे की ओर जातीं । एक अप्सरा ट्रे में पानी की छोटी-छोटी बोतलें लेकर आई । बगल में बैठे बेवक़ूफ़ आदमी ने मन कर दिया पर खूबचंद ने दो बोतलें ले लीं । आसमान में अप्सरा के हाथ का पानी आहा ।


पाँच मिनट बाद दूसरी अप्सरा प्लेटों में कटे हुए सुंदर-सुंदर फल लेकर आ गई । खूबचंद ने स्वर्ग फल अप्सरा के हाथों से ग्रहड़ किए । बगल वाला फिर बेवक़ूफ़ निकला । दस मिनट भी नहीं बीते होंगे की दो अप्सराएँ एक छोटी सी ट्राली को मुस्कुराते हुए ला रहीं हैं । उस पर सुदर-सुंदर पैकेट रखे हुए हैं । खूबचंद उसी को देख रहे थे और वो अप्सरा दूर से इन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी । पास आई और बोली- ‘सर, यू वांट ब्रेकफास्ट ।’


खूबचंद तो सब चाह रहे थे जो भी वो अप्सरा लेकर आए । ‘हाँ , हाँ क्यों नहीं ।’ खूबचंद ने जमकर नाश्ता किया । बहुत खुश हुए । वाह, स्वर्ग सा आनंद । खूबचंद आखें बंद करना चाहते थे लेकिन हो ही नहीं रही थीं । कुछ पल बीते होंगे की एक अप्सरा मुस्कुराते हुए खूबचंद के पास आई और बोली- ‘सर, प्लीज़ पेय 750 रुपीज़ ओनली ।’


‘काहे के ?’ खूबचंद अपनी सैदपुरी औकात में आ गिरे । ‘सर जो आपने वाटर , जूस और रिफ्रेशमेंट लिए हैं उनके ।’
‘हमने तो सुना था की सब फ्री में मिलेगा ।’
‘सर वख्त बहुत बदल गया है । जल्दी कीजिये, मुझे अभी पूरे जहाज़ से वसूली करनी है ।’ और अप्सरा के साथ इनके बगल वाला भी मुस्कुरा रहा था ।



लेखक- सर्वेश अस्थाना

[APPNAME]

चार्मिंग या हार्मिंग

इंडियन टीम के विकेट पके आम की तरह धडाधड टपकते जा रहे थे और मेरे जैसे क्रिकेट लवर्स की आस रेगिस्तान में घाँस की तरह गो, वेंट, गौण होती चली जा रही थी । सारे विश्लेषण और संश्लेषण, यहाँ तक की खेल का पोस्मार्टम करने के बाद भी टीम की ऐसी दशा की दिशा दूंडे नही मिल रही थी । खैर, तभी ड्रिंक ब्रेक हुआ , मैंने भी अपना गरम दिमाग ठंडा करने के लिए एक घूँट पानी गटका । लेकिन जैसे ही दूसरा घूँट मुह में डाला वह हलक में ही अटक गया ।

क्यूंकि मेरी नेत्रेंद्रियों ने देखा की मल्लिका शेरावत और राखी सावंत टाइप विदेशी बालाएं पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें लिए खिलाड़ियों की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहीं थीं । एकाएक अहसास हुआ मानो क्रिकेट ग्राउंड इन्द्र सभा में तब्दील हो गया हो और सुंदर अप्सराएँ सोमरस की जगह कोकेरस पिला रहीं हों । यह सब देखकर मुझे खेल की दशा और दुर्दशा दोनों की दिशा ही नहीं बल्कि दिशाएं तक पता चल गयीं ।


अमां ख़ुद बताइए धोनी, युवराज, भज्जी, इशांत जैसे कुवारों की टीम में प्यास बुझाने के लिए अगर ड्रिंक गर्ल्स आयेंगी तो वह उनकी प्यास बुझायेंगी या बढाएंगी इसका अंदाजा तो आप ही लगा सकते हैं । ज़रा सोचिये जब विश्वामित्र जैसे तपस्वी ने मेनका के आगे सरेंडर कर दिया तो हमारे इन दिल्फेक क्रिकेटरों की क्या बिसात है ? बेचारे जब बोलर्स की स्विंग से ज्यादा ड्रिंक गर्ल्स पर कंसंट्रेट करेंगे तो बोल्ड तो होंगे ही।


जैसे ड्रीम गर्ल किसी शायर की ग़ज़ल में हुआ करती थीं, वैसे ही यह ड्रिंक गर्ल्स किसी ललित मोदी की पहल लगती हैं । चीयर गर्ल्स ने तो 20-20 को hit और hot दोनों ही करा दिया लेकिन इन ड्रिंक गर्ल्स ने तो 50-50 की वाट लगाने का पूरा इन्तेजाम कर दिया है । अब जब से पानी पिलाने ड्रिंक गर्ल्स आने लगीं हैं, तब से तो हर अच्छा खासा खिलाड़ी भी पानी मांग जाता है । अब तो मैं भी यही दुआ करता हूँ की धोनी भले ही चौके -छक्के न मारें अलबत्ता हर चौथे -पांचवे ओवर में ड्रिंक ज़रूर मंगाते रहें । आख़िर प्यास का मामला है।


इधर कुछ समय से ऐसा लग रहा है की क्रिकेट का गर्ल्रीकरण होता चला जा रहा है । पहले मंदिरा बेदी ने कमेंट्री कर सब पर कमांड कर लिया, फिर चीयर गर्ल्स ने सबको चकाचौंध कर दिया और अब ड्रिंक गर्ल्स ने अपने ड्रिंक से हमारे क्रिकेटरों को मदहोश करके रखा हुआ है । खुदा खैर करे मुझे तो उस अंजाम से ही डर लगता है जब मैदान पर अम्पायरिंग भी गिर्ल्स किया करेंगी ।


ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में इन गर्ल्स के सुर-ताल के चलते क्रिकेट प्लेयर के लिए कम, ग्लैमर के लिए ज्यादा जन जाएगा । क्रिकेट अब केवल जेंटलमैन का गेम न रहकर लेडीज़ और जेंटलमैन का गेम बनकर रह गया है । जिस गेम को कभी बैट्समैन, बोलर व फील्डर के लिए देखा जाता था, ड्रिंक गर्ल्स और कमेंटेटर के लिए देखा जा रहा है। भाई क्या ज़माना आ गया है।


लेखक - अलंकार रस्तोगी
[APPNAME]