Sunday, June 27, 2010

रूठे-रूठे से यमराज



         ऑनर किलिंग में  मरने  के  बाद  मुझे  दो  यमदूत  यमलोक  कि  ओर  ले  चले . जर्नी के दौरान बातों ही बातों में यमदूतों से पाता चला कि आजकल यमराज हिन्दुस्तान के कारण बड़े खफा-खफा से रहते हैं और इसका खामियाज़ा यमदूतों को भी भुगतना पड़ता है . यह सुनकर मैंने जिज्ञासा जताई कि जब वे नाराज़ हिन्दुस्तान से हैं तो आप यमदूत लोग कैसे खामियाज़ा भुगत रहे हैं . यमदूत बोले- दरअसल,  यमराज के कौल सेंटर में ज़्यादातर यमदूत इन्डियन ही हैं इसलिए उनकी जनरल नाराजगी हम यमदूतों को छूती हुई निकलती है . 
           मैंने कहा- तुम लोग चिंता मत करो . अब मैं आ गया हूँ, उनका मूड ठिकाने लगा दूंगा . यह सुनकर दोनों यमदूत हँसते-हँसते लोटपोट हो गए और कटाछ करते हुए बोले, तुम खुद तो ऑनर किलिंग से ठिकाने लगाये गए हो फिर तुम कैसे मूड ठिकाने लगाओगे ? मैंने कहा, इसमें हँसने की बात नहीं है . मैं हास्य व्यंग्य का सम्मानित कवी और लेख़क हूँ, कितनों का मूड सही कर दिया है, फिर तुम्हारे यमराज किस खेत की मूली हैं . अपने बॉस के प्रति मेरी नव पार्लियामेंट्री लैंग्वेज सुनकर दोनों यमदूत अन्दर ही अन्दर बुरा मान गए और मुझे सबक सिखाने के लिए प्रोटोकौल तोड़ते हुए सीधे यमराज के चैंबर में लाकर खड़ा कर दिया . 
          सामने यमराज को साछात देखकर डर के मारे मैं अपनी ऑनर किलिंग को भूलकर उनकी ऑनर फिलिंग पर उतर आया . मैंने लखनव्वा तहजीब दिखाते हुए उन्हें आदाब किया और आदतन कुर्सी घसीटकर बैठ गया . मेरी इस हरकत को महीन वॉच कर रहे यमराज ने प्रश्न किया- हिन्दुस्तान से आये हो क्या ? मैंने कहा- जी जनाब, आपने मेरे आदाब करने की तहजीब से ही पहचान लिया होगा . वे बोले- नहीं मैंने तुम्हे दूसरों की कुर्सी घसीट लेने की आदत से पहचाना है . मेरे पास कैसे आये ? सीधे धर्मराज के पास पुण्य-पाप का हिसाब देने क्यों नहीं गए ? मैंने कहा- सर, दर्शनार्थ चला आया . वे बोले- मेरे दर्शन तो तुम्हे ऑनर किलिंग में ही हो गए थे . फिर दोबारा क्यों ? मैंने कहा- सर, यमदूतों से पता चला कि हिन्दुस्तान को लेकर आपका मूड ख़राब है, सो कारण जानने की लालसा खींच लाई .
         यमराज बोले- हाँ तुम हिन्दुस्तानियों ने ही मूड ख़राब कर रखा है . पाता नहीं किन-किन तरीकों से मरने लगे हो . हमारे यहाँ वर्कलोड बढ़ गया है . 90 परसेंट यमदूत तुम्हारे यहाँ भेजने पढ़ रहे हैं . और देशों में हम समय से यमदूत नहीं भेज पाते .
         अब खुद ही देखो, तुमलोग पहले भुखमरी से मरते थे, कुछ यमदूतों से काम चल जाता था . भुखमरी कम हुई तो धार्मिक उन्माद के थ्रू आने लगे . हमें यमदूत बढ़ाने पड़े . ये रास्ता खुला ही रहा कि इधर आतंकवाद आ गया . अभी हम बड़ी हुई डिमांड मैनेज नहीं कर पाए थे कि तुम्हारे यहाँ नक्सलियों, माओवादियों, गैंगवारों और माफियाओं के बाइपास भी आवागमन के लिए खुल गए . इतना ही नहीं बल्कि फर्जी इनकाउंटरों, नकली दवाओं और दवा के अभावों और मिलावटी खाध    पदार्थों की भी पगडंडियों से लोग आने लगे . 
           अब हमारे लगभग सारे यमदूत हिन्दुस्तान के ही टूर पर बिजी रहते हैं और जगहों का काम ठप हो गया है . इधर लेटेस्ट तरीका ऑनर किलिंग का निकल लिया है . तुम खुद इसी कैटेगरी के विक्टिम हो . मेरी सहानुभूति तुम्हारे साथ है . पर आजकल हिन्दुस्तान में ऑनर के साथ किलिंग और बेशर्मी के साथ लिविंग का नया कल्चर मेरे गले से नहीं उतर रहा है . 


लेख़क- मुकुल महान        
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7 comments:

  1. wah maza a gaya!!!!!!

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  2. अब हमारे लगभग सारे यमदूत हिन्दुस्तान के ही टूर पर बिजी रहते हैं और जगहों का काम ठप हो गया है

    Baat pate ki hai!

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  3. yamdoot to jaise hindustan ko apna ghar banakar baithe hain, har roz kahin na kahin bade hadse hote rahte hain!!!!

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  4. Hasya kavita ke bahane hi sahi magar aapne ek
    kadwa sach samne laker rakha hai. ki Duniya ke
    baki desho ki tulna me Bharat me mout sabse zyada ho rahi hai. Marne waalo ki sankhya bharat me
    sabse zyada hai. Ab bechare ymrajji ne apni jo narajgi rakhi wo bhi apne jagah sahi hai.

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  5. bhai maza aa gya

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  6. पर आजकल हिन्दुस्तान में ऑनर के साथ किलिंग और बेशर्मी के साथ लिविंग का नया कल्चर मेरे गले से नहीं उतर रहा है ....kya baat hai. jiyo guru. thanks for the nice one

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