कॉलेज खुल गए हैं . चारों ओर स्टूडेंट कि बहार है . गर्ल्स कॉलेज के आसपास हर सड़क, हर गली कुछ ज्यादा ही गुलज़ार है . हमारे शहर के 1 गर्ल्स कॉलेज के आसपास की गलियों का तो सिचुएशनल नामकरण भी हो चुका है . हर गली अपनी पहचान के अकॉरडिंग नज़र भी आती है .
द्रश्य 1- साजन गली (यह गली बहुत निराली है . यह उन लोगों का ही मीटिंग स्पॉट है, जिनकी शादी महीने दो महीने पहले हुई है या 2-4 महीने बाद होने वाली है). गली में 1 लड़का 1 लडकी से बात करता हुआ नज़र आ रहा है . 1 पुलिस वाला उनके पास जाकर दोनों को हड़का रहा है . लड़का कह रहा है यह मेरी पत्नी है . मैं इसे फीस के पैसे देने आया हूँ . अभी-अभी बैंक से निकालकर लाया हूँ . लड़की भी अपनी मांग का सिन्दूर दिखा रही है लेकिन पुलिस वाला सैटिसफाइड नहीं हो रहा है . तभी लड़का अपने पर्स से कुछ निकालकर पुलिसवाले को पकड़ाता है . पुलिसवाला फुल्ली सैटिसफाइड होकर वहां से चला जाता है .
द्रश्य 2- मजनू गली (इस गली में अक्सर ऐसे लड़के-लड़कियां आते हैं, जिनका प्यार अभी परवान चढ़ रहा है . इसलिए पुलिस को यहाँ भी दखल देना पड़ रहा है ). गली में पुलिसवाला 1 मजनू को पीट रहा है . हाथ पकड़कर घसीट रहा है . आसपास जुटी भीड़ को मज़ा आ रहा है . मजनू के सिर पर उस्तरे से चौराहा बनाया जा रहा है . वह चिल्ला रहा है- सर आप बहुत ज़ुल्म ढा रहे हैं . मुझे गली में पकड़ा है लेकिन मेरे सिर पर चौराहा बना रहे हैं . दोबारा इस गली में नज़र मत आना- कहते हुए पुलिसवाला मुस्कुरा रहा है .
द्रश्य 3- आवारा गली (इसमें वही लोग आते हैं जो बाकी दो गलियों में जाने के काबिल नहीं रह जाते हैं ). गली में 1 महिला 1 पुरुष को पीट रही है . उनकी बातचीत से पता चल रहा है कि पिटने वाला पुरुष उसका हसबैंड ही है . पुलिस महिला के पास जाती है . पति को पीटने का कारण पूछने पर महिला बताती है- जनाब ऑफिस जल्दी जाने का बहाना करके डेली इधर आकर अपनी आँखे सेंक रहे हैं . बुढ़ापा दस्तक दे रहा है, फिर भी जवानी के ख्वाब देख रहे हैं . इसलिए मजबूरी है . इनकी ओवरहौलिंग ज़रूरी है . पुलिसवाला मुस्कुराता है . पिटे हुए पति को 2 हाथ लगाकर वहां से चला जाता है .
द्रश्य 4- अंत में आपको कॉलेज के ठीक सामने बने पार्क में ले जा रहे हैं . पार्क के 1 कोने में दरोगा जी महिला सिपाही के साथ बैठे बतिया रहे हैं . बात करते हुए थोडा-थोडा उससे सटते जा रहे हैं . तभी उनके इंस्पेक्टर साहब वहां आ जाते हैं . दरोगा जी को हडकाते हैं- कॉलेज छूटने का टाइम हो रहा है और आप यहाँ गुलछर्रे उड़ा रहे हैं . दरोगा जी हकलाते हुए महिला सिपाही की ओर इशारा करते हैं- सर, हम तो इसे ऑपरेशन मजनू के बारे में समझा रहे हैं . इंस्पेक्टर साहब महिला सिपाही पर 1 नज़र मारते हैं . फिर दरोगा जी से कहते हैं- ठीक है, कल से ऑपरेशन मजनू की कमान हम अपने हाथ में ले लेंगे . दरोगा जी थाने कि ओर जा रहे हैं . इंस्पेक्टर साहब मुस्कुरा रहे हैं .
लेखक- डा. कमलेश द्विवेदी
लेखक- डा. कमलेश द्विवेदी