Sunday, July 25, 2010

ऑपरेशन मजनू

        कॉलेज  खुल  गए  हैं . चारों  ओर  स्टूडेंट  कि  बहार  है . गर्ल्स  कॉलेज  के  आसपास  हर  सड़क, हर  गली  कुछ  ज्यादा  ही  गुलज़ार  है . हमारे  शहर  के 1 गर्ल्स  कॉलेज  के  आसपास की  गलियों  का  तो  सिचुएशनल  नामकरण  भी  हो  चुका  है . हर  गली  अपनी  पहचान  के अकॉरडिंग नज़र  भी  आती  है . 

द्रश्य 1- साजन  गली (यह  गली  बहुत  निराली  है . यह  उन  लोगों  का  ही  मीटिंग  स्पॉट  है, जिनकी  शादी  महीने  दो  महीने  पहले  हुई  है  या  2-4 महीने  बाद  होने  वाली  है).  गली  में  1 लड़का  1 लडकी  से  बात  करता  हुआ नज़र आ रहा  है . 1 पुलिस वाला उनके पास जाकर दोनों को हड़का रहा है . लड़का कह रहा है यह मेरी पत्नी है . मैं इसे फीस के पैसे देने आया हूँ . अभी-अभी बैंक से निकालकर लाया हूँ . लड़की भी अपनी मांग का सिन्दूर दिखा रही है लेकिन पुलिस वाला सैटिसफाइड नहीं हो रहा है . तभी लड़का अपने पर्स से कुछ निकालकर पुलिसवाले को पकड़ाता है . पुलिसवाला फुल्ली सैटिसफाइड होकर वहां से चला जाता है . 

द्रश्य 2- मजनू गली (इस गली में अक्सर ऐसे लड़के-लड़कियां आते हैं, जिनका प्यार अभी परवान चढ़ रहा है . इसलिए पुलिस को यहाँ भी दखल देना पड़ रहा है ). गली में पुलिसवाला 1 मजनू को पीट रहा है . हाथ पकड़कर घसीट रहा है . आसपास जुटी भीड़ को मज़ा आ रहा है . मजनू के सिर पर उस्तरे से चौराहा बनाया जा रहा है . वह चिल्ला रहा है- सर आप बहुत ज़ुल्म ढा रहे हैं . मुझे गली में पकड़ा है लेकिन मेरे सिर पर चौराहा बना रहे हैं . दोबारा इस गली में नज़र मत आना- कहते हुए पुलिसवाला मुस्कुरा रहा है . 
  
द्रश्य 3- आवारा गली (इसमें वही लोग आते हैं जो बाकी दो गलियों में जाने के काबिल नहीं रह जाते हैं ). गली में 1 महिला 1 पुरुष को पीट रही है . उनकी बातचीत से पता चल रहा है कि पिटने वाला पुरुष उसका हसबैंड ही है . पुलिस महिला के पास जाती है . पति को पीटने का कारण पूछने पर महिला बताती है- जनाब ऑफिस जल्दी जाने का बहाना करके डेली इधर आकर अपनी आँखे सेंक रहे हैं . बुढ़ापा दस्तक दे रहा है, फिर भी जवानी के ख्वाब देख रहे हैं . इसलिए मजबूरी है . इनकी ओवरहौलिंग ज़रूरी है . पुलिसवाला मुस्कुराता है .  पिटे हुए पति को 2 हाथ लगाकर वहां से चला जाता है . 

द्रश्य 4- अंत में आपको कॉलेज के ठीक सामने बने पार्क में ले जा रहे हैं . पार्क के 1 कोने में दरोगा जी महिला सिपाही के साथ बैठे बतिया रहे हैं . बात करते हुए थोडा-थोडा उससे सटते जा रहे हैं . तभी उनके इंस्पेक्टर साहब वहां आ जाते हैं . दरोगा जी को हडकाते हैं- कॉलेज छूटने का टाइम हो रहा है और आप यहाँ गुलछर्रे उड़ा रहे हैं . दरोगा जी हकलाते हुए महिला सिपाही की ओर इशारा करते हैं- सर, हम तो इसे ऑपरेशन मजनू के बारे में समझा रहे हैं . इंस्पेक्टर साहब महिला सिपाही पर 1 नज़र मारते हैं . फिर दरोगा जी से कहते हैं- ठीक है, कल से ऑपरेशन मजनू की कमान हम अपने हाथ में ले लेंगे . दरोगा जी थाने कि ओर जा रहे हैं . इंस्पेक्टर साहब मुस्कुरा रहे हैं .  




लेखक- डा. कमलेश द्विवेदी 
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Friday, July 16, 2010

पॉल बाबा कि जय हो


         श्रीमान ऑक्टोपस पॉल के प्रति मेरी श्रद्धा बढ़ गई है . वे अपनी भविश्यवाणी के साथ सही साबित हुए . स्पेन अब फुटबॉल का नया विश्व विजेता है . स्पेन कि इस जीत में पॉल बाबा की बड़ी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका रही है . पॉल बाबा के दिमाग पर मुझे गर्व होने लगा है . हालाँकि पॉल बाबा जानवर सरीखे हैं, परन्तु उनकी सोच और अनुभव का दायरा हम इंसानों से कहीं ज्यादा विशाल है . कमल देखिये कल तक 8 पैरों वाले ऑक्टोपस को लोग हेयभरी निगाहों से देखते थे, उसे खतरनाक जानवर कहते-बताते थे लेकिन फुटबॉल विश्व कप में इन्ही ऑक्टोपस पॉल बाबा कि भविश्यवाणीयों ने अदभुत इतिहास सा रच दिया है . आज समूचे विश्व में पॉल बाबा के ही जयकारे और चर्चे हैं . पॉल बाबा जिससे लिपट गए उसकी तो बस लॉटरी लग गई . विश्व में ऐसा कमाल हमें बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलता है . 
           प्रगतिशील कह रहे हैं कि पॉल बाबा ने अपनी भविश्यवाणीयों के साथ खेल और समाज के बीच अंधविश्वास को बढाया है . खेल और खिलाड़ी दोनों ही अन्धविश्वासी बनते जा रहे हैं . लेकिन मैं प्रगतीशीलों के इस कथन से सहमत नहीं हूँ . अरे, अन्धविश्वासी होना विश्वासी होने से कहीं अधिक सुख व सुविधाकारी है . जब तक आप विश्वासी बने रहते हैं, अपनी ही नाक ऊंची करके चलते हैं, पर अंधविश्वास की शरण में जाने से आप खुद कुछ नहीं रहते जो रहता है सब अलां-फलां का मत रहता है . उनके मतों को मानते रहिये और पॉल बाबा जैसों की जय बोलते रहिये . 
           कहते हैं कि जानवर इंसान से कहीं ज्यादा समझदार होते हैं . जिस सोच और समझ तक इंसान जाने का जुगाड़ बैठा रहा होता है, जानवर वहां उससे पहले ही पहुंचकर उसका काम तमाम कर देते हैं . पॉल बाबा ने बस यही तो किया और परिणाम आपके सामने है . मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूँ कि पॉल बाबा की भविश्यवाणी के सामने बड़े से बड़े ज्योतिषी तक फेल साबित हुए हैं . आज ज्योतिषियों का ज्योतिष पॉल बाबा के सामने पानी भर रहा है . हो सकता है कि अब ज्योतिषी भी अपने-अपने पॉल बाबाओं की तलाश में जी-जान से जुट गए हों .
          वैसे मैं सच बताऊँ मैं भी 1 अदद पॉल बाबा के जुगाड़ में हूँ . दरअसल, मैं पॉल बाबा की शरण में इसलिए जाना चाहता हूँ ताकि जान सकूं कि मेरा साहित्यिक व लेखकीय कैरियर कैसा रहेगा . मैं कब तक 1 बड़ा और महान लेख़क बन पाउँगा . पॉल बाबा के प्रति अंधविश्वास मुझे भाने लगा है . उनकी सच को भापने कि शक्ती वाकई कमाल की है . अगर पॉल बाबा मुझे मिल जातें हैं, तो उन्हें मैं अपने साथ ही रखूंगा, ताकि समाज और साहित्य की बुरी नज़रों से खुद को सुरक्षित रख सकूं . वाकई पॉल बाबा तुम महान हो . तुम्हारी जय हो . जय हो .


लेख़क- अलंकार रस्तोगी                   
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Thursday, July 15, 2010

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Sunday, June 27, 2010

रूठे-रूठे से यमराज



         ऑनर किलिंग में  मरने  के  बाद  मुझे  दो  यमदूत  यमलोक  कि  ओर  ले  चले . जर्नी के दौरान बातों ही बातों में यमदूतों से पाता चला कि आजकल यमराज हिन्दुस्तान के कारण बड़े खफा-खफा से रहते हैं और इसका खामियाज़ा यमदूतों को भी भुगतना पड़ता है . यह सुनकर मैंने जिज्ञासा जताई कि जब वे नाराज़ हिन्दुस्तान से हैं तो आप यमदूत लोग कैसे खामियाज़ा भुगत रहे हैं . यमदूत बोले- दरअसल,  यमराज के कौल सेंटर में ज़्यादातर यमदूत इन्डियन ही हैं इसलिए उनकी जनरल नाराजगी हम यमदूतों को छूती हुई निकलती है . 
           मैंने कहा- तुम लोग चिंता मत करो . अब मैं आ गया हूँ, उनका मूड ठिकाने लगा दूंगा . यह सुनकर दोनों यमदूत हँसते-हँसते लोटपोट हो गए और कटाछ करते हुए बोले, तुम खुद तो ऑनर किलिंग से ठिकाने लगाये गए हो फिर तुम कैसे मूड ठिकाने लगाओगे ? मैंने कहा, इसमें हँसने की बात नहीं है . मैं हास्य व्यंग्य का सम्मानित कवी और लेख़क हूँ, कितनों का मूड सही कर दिया है, फिर तुम्हारे यमराज किस खेत की मूली हैं . अपने बॉस के प्रति मेरी नव पार्लियामेंट्री लैंग्वेज सुनकर दोनों यमदूत अन्दर ही अन्दर बुरा मान गए और मुझे सबक सिखाने के लिए प्रोटोकौल तोड़ते हुए सीधे यमराज के चैंबर में लाकर खड़ा कर दिया . 
          सामने यमराज को साछात देखकर डर के मारे मैं अपनी ऑनर किलिंग को भूलकर उनकी ऑनर फिलिंग पर उतर आया . मैंने लखनव्वा तहजीब दिखाते हुए उन्हें आदाब किया और आदतन कुर्सी घसीटकर बैठ गया . मेरी इस हरकत को महीन वॉच कर रहे यमराज ने प्रश्न किया- हिन्दुस्तान से आये हो क्या ? मैंने कहा- जी जनाब, आपने मेरे आदाब करने की तहजीब से ही पहचान लिया होगा . वे बोले- नहीं मैंने तुम्हे दूसरों की कुर्सी घसीट लेने की आदत से पहचाना है . मेरे पास कैसे आये ? सीधे धर्मराज के पास पुण्य-पाप का हिसाब देने क्यों नहीं गए ? मैंने कहा- सर, दर्शनार्थ चला आया . वे बोले- मेरे दर्शन तो तुम्हे ऑनर किलिंग में ही हो गए थे . फिर दोबारा क्यों ? मैंने कहा- सर, यमदूतों से पता चला कि हिन्दुस्तान को लेकर आपका मूड ख़राब है, सो कारण जानने की लालसा खींच लाई .
         यमराज बोले- हाँ तुम हिन्दुस्तानियों ने ही मूड ख़राब कर रखा है . पाता नहीं किन-किन तरीकों से मरने लगे हो . हमारे यहाँ वर्कलोड बढ़ गया है . 90 परसेंट यमदूत तुम्हारे यहाँ भेजने पढ़ रहे हैं . और देशों में हम समय से यमदूत नहीं भेज पाते .
         अब खुद ही देखो, तुमलोग पहले भुखमरी से मरते थे, कुछ यमदूतों से काम चल जाता था . भुखमरी कम हुई तो धार्मिक उन्माद के थ्रू आने लगे . हमें यमदूत बढ़ाने पड़े . ये रास्ता खुला ही रहा कि इधर आतंकवाद आ गया . अभी हम बड़ी हुई डिमांड मैनेज नहीं कर पाए थे कि तुम्हारे यहाँ नक्सलियों, माओवादियों, गैंगवारों और माफियाओं के बाइपास भी आवागमन के लिए खुल गए . इतना ही नहीं बल्कि फर्जी इनकाउंटरों, नकली दवाओं और दवा के अभावों और मिलावटी खाध    पदार्थों की भी पगडंडियों से लोग आने लगे . 
           अब हमारे लगभग सारे यमदूत हिन्दुस्तान के ही टूर पर बिजी रहते हैं और जगहों का काम ठप हो गया है . इधर लेटेस्ट तरीका ऑनर किलिंग का निकल लिया है . तुम खुद इसी कैटेगरी के विक्टिम हो . मेरी सहानुभूति तुम्हारे साथ है . पर आजकल हिन्दुस्तान में ऑनर के साथ किलिंग और बेशर्मी के साथ लिविंग का नया कल्चर मेरे गले से नहीं उतर रहा है . 


लेख़क- मुकुल महान        
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Friday, June 25, 2010

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