Friday, December 04, 2009

घंटा भंगुर बिजली

बिजली दर्शन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैं-


जीवन क्षणभंगुरम च बिजली घंटा भंगुरम, ज्ञानी पुरुषस्य यह लक्ष्णम, न बिजली आने की खुशी, न जाने का ग़म ।

भावार्थ- जीवन क्षण भंगुर है और बिजली घंटाभंगुर है । अभी आयी है, अभी चली जायेगी ।कहाँ से आती है, कहाँ जाती है, बिजलीघर वालों को भी नहीं मालूम । उन्हें कुछ नहीं मालूम ।विद्वानों ने कहा है ज्ञानी पुरूष सुख और दुःख दोनों में समान स्तिथि में रहता है । ऐसी सूरत मेंज्ञानी पुरूष का यही लक्षण होता है की वह बिजली आने की खुशी न मनाये और बिजली जानेका ग़म न करे । दुनिया फानी है, बिजली आनी है, जानी है । संसार दुःख है, ऐसा जिनज्ञानियों नें कहा है, उन्होंने बिजली के कष्ट को बहुत भोगकर ही कहा है ।

बिजली अनुपस्थितम किम गम, पूर्व जन्मात संस्कारत कर्म फल का रिज़ल्टम, यही विचारात ।

भावार्थ - बिजली अगर अनुपस्थित है, तो किस बात का ग़म । यह तो पूर्व जन्म के संस्कार हैं। तूने पिछले जन्म में बड़े पाप किए होंगे, तभी तुझे किसी उत्तर भारतीय शहर मेंजीवन-यापन करना पड़ रहा है । ऊपर नरक में पानी और बिजली की सप्लाई की परेशानी कोदेखते हुए ऊपर वाले को नरक में 'नो वैकेन्सी' का बोर्ड टांगना पड़ता है । ऐसे सबको उत्तरभारत के बिजली-पानी विहीन शहरों में जन्म लेकर अपने पूर्व जन्म के कर्मों को काटना पड़ताहै । तेरे सारे पुराने पाप कट जायेंगे, तो फिर तू अमेरिका या ब्रीटेन के किसी बिजली युक्त शहरमें जन्म लेगा । ज्ञानियों नें कहा है की कर्म तो काटने पड़ते हैं । यही समझकर तू अंधेरे में, पसीने-पसीने होते हुए पूर्व जन्म के दुष्कर्मों के लिए क्षमा मांग ।

बिजली गायबम, गहन चिंतनम, मारम धाडम विकट विजयं यही स्टोरी ऑफ़ सिकंदरम बाबरम् अकबरम

भावार्थ- ज्ञानी कहते हैं की बिजली की अनुपस्तिथि में कई तरह के धाँसू विचार उपस्थित होजाते हैं । बिजली गायब है, अँधेरा है, हवा है, हवा नहीं चल रही है, पंखा नहीं चल रहा है । ऐसेमें दिमाग में विकट गरमी भर जाती है और बंदा युध्दोत्सुक हो उठता है, विकट युद्धअभियानों की तरफ़ निकल चलता है और विजयश्री का वर्णन करता है । जैसे बाबरअफगानिस्तान जैसे ठंडे मुल्क से इंडिया आया था, यहाँ की गरमी में युध्दोत्सुक हो उठा औरविकट मारधाड़ मचाकर मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की । ऐसे ही राजस्थान में जन्मे अकबरपर गरमी ने असर दिखाया और परिणाम इतिहास में दर्ज है । अगर उस दौर में बिजली, पंखे, ऐसी होते, तो ये सब आराम पड़े ठडंक में सोये पाये जाते । इतिहास में इनका नाम दर्ज न होपाता ।

सो हे जातक, बिजली की अनुपस्तिथि की चिंता न करते हुए उसके गायब होने केसकारात्मक पक्षों पर विचार करें ।


लेखक- आलोक पुराणिक
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