Tuesday, June 01, 2010

स्पीड ब्रेकर्स


     ओवरफ्लो  करती  हुई  मस्कुलर जवानी  में स्किन टाईट टी-शर्ट, जींस और
गॉगल्स से लैस कोई  सोकॉल्ड इक्कीसवी सदी का बंदा, किसी हाई स्पीड 
धूम स्टाइल बाइक से सौ कि स्पीड को पार करता हुआ अपने बाइकिंग
टैलेंट का प्रदर्शन करते हुए नवयौवनाओ को इम्प्रेस करता हुआ बेचारा जब
स्पीड ब्रेकर्स के आने पर ब्रेक लगाता है तो ऐसा महसूस होता है  कि उसके 
अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को रोककर उसके चक्रवर्ती सम्राट बनने का सपना 
चकनाचूर कर दिया गया हो . ऐसा नहीं कि रोड का यह स्पीड  ब्रेकर रुपी 
विलेन सिर्फ स्पीड में रोड़े अटकाने के काम ही आता है, कुछ मजनू टाइप्ड 
बाइक सवार जो अपनी लैलाओं को पीछे बैठाये फर्राटे मारते हैं, वह मोस्टली 
ब्रेक लगाने के सुअवसरों की ही प्रतीक्षा  करते रहते हैं. धन्य हैं ये स्पीड ब्रेकर्स 
जो ऐसे मजनुओं की हार्दिक इच्छा की पूर्ती में सहायक सिद्ध होते हैं. उनके 
लिए स्पीड ब्रेकर्स का आना किसी मनचाही मुराद से कम नहीं लगता है.
       चलो स्पीड ब्रेकर्स अगर स्कूलों के आगे, पार्कों  के आगे, अस्पतालों के 
आगे हों तो ठीक भी है . इन दिनों तो स्पीड ब्रेकर्स का फैशन सा हो गया है, 
या यूँ कह लीजिये कि हाई स्पीड बाइक्स का इतना आतंक लोगों के दिलों 
में इस कदर बैठ गया है कि अब तो हर दो कदम पर आपको 1 स्पीड ब्रेकर्स 
ज़रूर  मिल जायेगा. अब लोग घरों के अन्दर स्टेयर्स  भले ही न बनवाएं 
लेकिन बाहर स्पीड ब्रेकर्स ज़रूर बनवा लेते हैं. 
       वैसे ही हमारी रोड्स में इतने गड्ढे होते है कि हायाबूज़ा जैसी गाड़ी 
भी बैलगाड़ी से ज्यादा स्पीड  नहीं पकड़ पाती है. ऐसे में जब स्पीड ब्रेकर्स 
पड़ते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी फेवरेट प्रोग्राम में बार-2 बिजली जा 
रही हो और जब बिजली आये तो ब्रेक हो जाता है.  इन मुए स्पीड  ब्रेकर्स 
कि वजह से जैसे ही गाड़ी में फोर्थ गियर डालो वैसे ही अगला स्पीड  ब्रेकर
आ जाता है और आपको गियर्स का काउंटडाउन यानि 4, 3, 2, 1 शुरू करना 
पड़ जाता है. लगता है 1 टू का 4, 4 टू का 1 गाने की इंस्पिरेशन यहीं से  ली 
गई थी .
         स्पीड ब्रेकर्स अगर स्पीड ही ब्रेक करें तो गनीमत है. यह तो स्पीड ब्रेकर्स 
कम पीठ ब्रेकर्स ज्यादा  होते हैं . सुबह से शाम तक तो इतने स्पीड ब्रेकर्स झेलने 
पड़ जाते हैं कि शरीर के हर हिस्से में शॉक ऐब्ज़ोर्बर कि ज़रुरत महसूस होने 
लगती है. स्पीड ब्रेकर्स भी अब ऐसे-वैसे नहीं बनाये जाते हैं. ऐसा लगता है कि 
सड़क पर ही हर्डल रेस यानि बाधा दौड़ का पूरा इंतज़ाम कर दिया हो. ऊंचे-ऊंचे 
स्पीड ब्रेकर्स अगर आप रात में नहीं देख पाए तो आपकी सुबह अगर अस्पताल 
में हो तो कोई बड़ी बात नहीं. आज के ज़माने में तो ऐसी और भी कई चीज़े हैं 
जिनकी बढ़ती स्पीड पर लगाम लगाने कि ज़रुरत है . अंधाधुंध स्पीड से फर्राटे
मारते हुए भ्रष्टाचार को,  समाज में फैलते हुए अत्याचार को,  अधिकारियों में 
पनपते कदाचार को, नेताओं में घुसते हुए अनाचार को और न्यूज़ चैनलों में 
चल रहे सेंसेशनल समाचार को भी आज प्रभावशाली स्पीड ब्रेकर्स से रोकने 
कि ज़रुरत है.


लेख़क- अलंकार रस्तोगी  
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