Friday, July 16, 2010

पॉल बाबा कि जय हो


         श्रीमान ऑक्टोपस पॉल के प्रति मेरी श्रद्धा बढ़ गई है . वे अपनी भविश्यवाणी के साथ सही साबित हुए . स्पेन अब फुटबॉल का नया विश्व विजेता है . स्पेन कि इस जीत में पॉल बाबा की बड़ी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका रही है . पॉल बाबा के दिमाग पर मुझे गर्व होने लगा है . हालाँकि पॉल बाबा जानवर सरीखे हैं, परन्तु उनकी सोच और अनुभव का दायरा हम इंसानों से कहीं ज्यादा विशाल है . कमल देखिये कल तक 8 पैरों वाले ऑक्टोपस को लोग हेयभरी निगाहों से देखते थे, उसे खतरनाक जानवर कहते-बताते थे लेकिन फुटबॉल विश्व कप में इन्ही ऑक्टोपस पॉल बाबा कि भविश्यवाणीयों ने अदभुत इतिहास सा रच दिया है . आज समूचे विश्व में पॉल बाबा के ही जयकारे और चर्चे हैं . पॉल बाबा जिससे लिपट गए उसकी तो बस लॉटरी लग गई . विश्व में ऐसा कमाल हमें बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलता है . 
           प्रगतिशील कह रहे हैं कि पॉल बाबा ने अपनी भविश्यवाणीयों के साथ खेल और समाज के बीच अंधविश्वास को बढाया है . खेल और खिलाड़ी दोनों ही अन्धविश्वासी बनते जा रहे हैं . लेकिन मैं प्रगतीशीलों के इस कथन से सहमत नहीं हूँ . अरे, अन्धविश्वासी होना विश्वासी होने से कहीं अधिक सुख व सुविधाकारी है . जब तक आप विश्वासी बने रहते हैं, अपनी ही नाक ऊंची करके चलते हैं, पर अंधविश्वास की शरण में जाने से आप खुद कुछ नहीं रहते जो रहता है सब अलां-फलां का मत रहता है . उनके मतों को मानते रहिये और पॉल बाबा जैसों की जय बोलते रहिये . 
           कहते हैं कि जानवर इंसान से कहीं ज्यादा समझदार होते हैं . जिस सोच और समझ तक इंसान जाने का जुगाड़ बैठा रहा होता है, जानवर वहां उससे पहले ही पहुंचकर उसका काम तमाम कर देते हैं . पॉल बाबा ने बस यही तो किया और परिणाम आपके सामने है . मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूँ कि पॉल बाबा की भविश्यवाणी के सामने बड़े से बड़े ज्योतिषी तक फेल साबित हुए हैं . आज ज्योतिषियों का ज्योतिष पॉल बाबा के सामने पानी भर रहा है . हो सकता है कि अब ज्योतिषी भी अपने-अपने पॉल बाबाओं की तलाश में जी-जान से जुट गए हों .
          वैसे मैं सच बताऊँ मैं भी 1 अदद पॉल बाबा के जुगाड़ में हूँ . दरअसल, मैं पॉल बाबा की शरण में इसलिए जाना चाहता हूँ ताकि जान सकूं कि मेरा साहित्यिक व लेखकीय कैरियर कैसा रहेगा . मैं कब तक 1 बड़ा और महान लेख़क बन पाउँगा . पॉल बाबा के प्रति अंधविश्वास मुझे भाने लगा है . उनकी सच को भापने कि शक्ती वाकई कमाल की है . अगर पॉल बाबा मुझे मिल जातें हैं, तो उन्हें मैं अपने साथ ही रखूंगा, ताकि समाज और साहित्य की बुरी नज़रों से खुद को सुरक्षित रख सकूं . वाकई पॉल बाबा तुम महान हो . तुम्हारी जय हो . जय हो .


लेख़क- अलंकार रस्तोगी                   
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