Thursday, November 12, 2009

चार्मिंग या हार्मिंग

इंडियन टीम के विकेट पके आम की तरह धडाधड टपकते जा रहे थे और मेरे जैसे क्रिकेट लवर्स की आस रेगिस्तान में घाँस की तरह गो, वेंट, गौण होती चली जा रही थी । सारे विश्लेषण और संश्लेषण, यहाँ तक की खेल का पोस्मार्टम करने के बाद भी टीम की ऐसी दशा की दिशा दूंडे नही मिल रही थी । खैर, तभी ड्रिंक ब्रेक हुआ , मैंने भी अपना गरम दिमाग ठंडा करने के लिए एक घूँट पानी गटका । लेकिन जैसे ही दूसरा घूँट मुह में डाला वह हलक में ही अटक गया ।

क्यूंकि मेरी नेत्रेंद्रियों ने देखा की मल्लिका शेरावत और राखी सावंत टाइप विदेशी बालाएं पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें लिए खिलाड़ियों की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहीं थीं । एकाएक अहसास हुआ मानो क्रिकेट ग्राउंड इन्द्र सभा में तब्दील हो गया हो और सुंदर अप्सराएँ सोमरस की जगह कोकेरस पिला रहीं हों । यह सब देखकर मुझे खेल की दशा और दुर्दशा दोनों की दिशा ही नहीं बल्कि दिशाएं तक पता चल गयीं ।


अमां ख़ुद बताइए धोनी, युवराज, भज्जी, इशांत जैसे कुवारों की टीम में प्यास बुझाने के लिए अगर ड्रिंक गर्ल्स आयेंगी तो वह उनकी प्यास बुझायेंगी या बढाएंगी इसका अंदाजा तो आप ही लगा सकते हैं । ज़रा सोचिये जब विश्वामित्र जैसे तपस्वी ने मेनका के आगे सरेंडर कर दिया तो हमारे इन दिल्फेक क्रिकेटरों की क्या बिसात है ? बेचारे जब बोलर्स की स्विंग से ज्यादा ड्रिंक गर्ल्स पर कंसंट्रेट करेंगे तो बोल्ड तो होंगे ही।


जैसे ड्रीम गर्ल किसी शायर की ग़ज़ल में हुआ करती थीं, वैसे ही यह ड्रिंक गर्ल्स किसी ललित मोदी की पहल लगती हैं । चीयर गर्ल्स ने तो 20-20 को hit और hot दोनों ही करा दिया लेकिन इन ड्रिंक गर्ल्स ने तो 50-50 की वाट लगाने का पूरा इन्तेजाम कर दिया है । अब जब से पानी पिलाने ड्रिंक गर्ल्स आने लगीं हैं, तब से तो हर अच्छा खासा खिलाड़ी भी पानी मांग जाता है । अब तो मैं भी यही दुआ करता हूँ की धोनी भले ही चौके -छक्के न मारें अलबत्ता हर चौथे -पांचवे ओवर में ड्रिंक ज़रूर मंगाते रहें । आख़िर प्यास का मामला है।


इधर कुछ समय से ऐसा लग रहा है की क्रिकेट का गर्ल्रीकरण होता चला जा रहा है । पहले मंदिरा बेदी ने कमेंट्री कर सब पर कमांड कर लिया, फिर चीयर गर्ल्स ने सबको चकाचौंध कर दिया और अब ड्रिंक गर्ल्स ने अपने ड्रिंक से हमारे क्रिकेटरों को मदहोश करके रखा हुआ है । खुदा खैर करे मुझे तो उस अंजाम से ही डर लगता है जब मैदान पर अम्पायरिंग भी गिर्ल्स किया करेंगी ।


ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में इन गर्ल्स के सुर-ताल के चलते क्रिकेट प्लेयर के लिए कम, ग्लैमर के लिए ज्यादा जन जाएगा । क्रिकेट अब केवल जेंटलमैन का गेम न रहकर लेडीज़ और जेंटलमैन का गेम बनकर रह गया है । जिस गेम को कभी बैट्समैन, बोलर व फील्डर के लिए देखा जाता था, ड्रिंक गर्ल्स और कमेंटेटर के लिए देखा जा रहा है। भाई क्या ज़माना आ गया है।


लेखक - अलंकार रस्तोगी
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