Monday, November 30, 2009

क्या कर रहे थे ?

              अंतर्राष्ट्रीय नशीला पदार्थ विरोधी संस्थान ने कहा है की हमें तमाम क्रिकेटरों की गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए । वे तीन महीने पहले क्या कर थे, यह पता होना चाहिए । तमाम भारतीय क्रिकेटरों ने इसका विरोध कियाहै । मैंने एक क्रिकेटर से इस सम्बन्ध में बात की, बाद में बहुत सी बातें ऑन रिकॉर्ड हो गयीं हैं, पर क्रिकेटर का नाम ऑफ़ रिकॉर्ड करना पड़ रहा है । बातचीत इस प्रकार है-

सवाल- सच में बताइए, पिछले तीन महीनों में आप क्या कर रहे थे ?
क्रिकेटर- देखिये, उस दिन मैं उस बीयर के लिए ऐड कर रहा था, नाच रहा था । उस दिन मैं उस रियलिटी शो में डांस कर रहा था, उस वाली एक्ट्रेस के साथ । उस दिन हाँ, उस दिन तो कोल्ड ड्रिंक की शूटिंग थी । हाँ, उस दिन तो मैं उस टी-शर्ट को बेच रहा था । हाँ उस दिन मैं कम्प्यूटर बेच रहा था । उस दिन चवनप्राश बेच रहा था ।

सवाल- आप यही सब बेचते हैं या कभी क्रिकेट भी खेलतें हैं ?
क्रिकेटर- कभी-कभार वह भी हो जाता है ।

सवाल- देखिये, आपको बतौर क्रिकेटर जाना जाता है और पिछले तीन महीनों से आप यह सब बेच रहे हैं ?
क्रिकेटर- देखिये, अब तो हमें भी कभी-कभार यह जान कर आश्चर्य होता है की आख़िर हमें क्रिकेटर माना जाता है। दरअसल, हम सेल्समैन हैं जो क्रिकेट खेलते हैं । अब अगर यह बात हम अंतररास्ट्रीय नशाबंदी संस्थान को बतादेंगे, तो लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे ।

सवाल- यही सोचेंगे की आप माल ज्यादा बेचते हैं और क्रिकेट कम खेलते हैं । लोगों को यह पता लगने दीजिये ।
क्रिकेटर- नहीं हम इस बात से डरते हैं की लोगों को जब यह पता चलेगा की हम सात दिनों में से छः दिन माल बेचने में बिताते हैं, तो हमारी रेप्यूटेशन डाउन हो जायेगी । वो सोचेंगे की कायदे का प्लेयर नहीं है, वरना तो सातों दिन माल बेचता ।

सवाल- फिर भी पब्लिक को यह पता होना चाहिए की आप करते क्या हैं ?
क्रिकेटर- क्रिकेटर इस देश में दो ही काम कर रहा होता है, अगर ठीक खेल रहा होता है तो तमाम इश्तेहारों के ज़रिये माल बेच रहा होता है । वरना ऐड वालों और पब्लिक की गालीयाँ झेल रहा होता है । 20-20 के बाद तो सीन और बदल गया है । जो खिलाड़ी 20 से कम आईटम बेच रहा होता है, उसे कायदे का खिलाड़ी नहीं माना जाता ।

सवाल- ओफ्फो, तो यह सब ही आप क्यों नहीं बता देते की आप क्या करते हैं ?
क्रिकेटर- देखिये, यह बता दिया तो प्रॉब्लम हो जायेगी न, अभी भी सात दिनों में सिर्फ़ छः दिन ही माल बेच पाते हैं । एक दिन क्रिकेट खेलना पड़ जाता है । यह बताने में शर्म आती है ।

बात समझ में आ गयी है की आख़िर क्रिकेटर क्यों नहीं बताना चाहते की वो क्या कर रहे थे ।



लेखक- आलोक पुराणिक
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